जगदलपुर,,(सियासत दर्पण न्यूज़) जगदलपुर नगर निगम में सत्ता और संगठन दोनों ही भाजपा के हाथ में होने के बावजूद अंदरूनी खींचतान खुलकर सामने आने लगी है. दलपत सागर वार्ड के वरिष्ठ भाजपा पार्षद नरसिंह राव ने अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पार्षद ने अपने वार्ड की समस्याओं को लेकर वार्डवासियों के साथ महापौर संतोष पांडे को ज्ञापन सौंपा है, जिससे नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं. साथ ही सियासी गलियारों में भाजपा में अंतर्कलह की चर्चा तेज हो गई है.
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दलपत सागर वार्ड के पार्षद नरसिंह राव ने साफ कहा कि चित्रकोट रोड और बिनाका मॉल के सामने हर साल बारिश में भीषण जलभराव हो जाता है. हालात ऐसे हो जाते हैं कि घरों तक पानी घुस जाता है और पूरा इलाका अस्त-व्यस्त हो जाता है. खासकर गायत्री नगर के लोग भारी परेशानियों का सामना करते हैं.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि शहर की करीब 80 प्रतिशत पुलिया अतिक्रमण से जाम हैं, जिसके चलते बारिश का पानी निकल ही नहीं पाता. छोटे-मोटे उपायों से हालात सुधरने वाले नहीं हैं, बल्कि नगर निगम को PWD के साथ मिलकर मास्टर प्लान तैयार करना होगा. राव की यह नाराज़गी इस ओर इशारा करती है कि नगर निगम की कार्यशैली में गंभीर खामियां हैं और भाजपा के ही पार्षद अब खुलकर अपनी सरकार से असंतोष जाहिर करने लगे हैं.
इस मामले में जब महापौर संजय पांडे से सवाल किया गया तो उनका जवाब चौंकाने वाला रहा. उन्होंने पहले तो यह स्वीकार ही नहीं किया कि उन्हें कोई ज्ञापन सौंपा गया है. इसके बाद उन्होंने कहा कि न तो भाजपा और न ही कांग्रेस के पार्षदों के साथ किसी तरह का भेदभाव किया जा रहा है.
महापौर ने दावा किया कि इस बार नगर निगम को जितना फंड मिला है, उतना पहले कभी नहीं मिला. विधायक किरण देव प्रदेश अध्यक्ष हैं और जिले में विकास की धारा बह रही है. साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि शहर में चौड़ी सड़कें और बड़ी नालियां बनाने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है.
महापौर के दावों और पार्षद की नाराजगी के बीच सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि जब फंड की कोई कमी नहीं है और विकास की योजनाएं कागजों पर मौजूद हैं, तो फिर वार्डों में जलभराव और अव्यवस्था क्यों बनी हुई है?
अगर सब कुछ ठीक चल रहा है, तो फिर भाजपा का ही वरिष्ठ पार्षद अपने वार्डवासियों के साथ सड़क पर उतरकर महापौर को ज्ञापन सौंपने के लिए मजबूर क्यों हुआ? यह न सिर्फ नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि भाजपा के भीतर बढ़ते असंतोष की ओर भी साफ संकेत देता है.







