सियासत दर्पण न्यूज़ कांकेर से गणेश तिवारी की रिपोर्ट
फर्जी जांच टीम और निलंबन की धमकी देकर वसूली का प्रयास, प्राचार्य परेशान
कांकेर,सियासत दर्पण न्यूज़। जिले के शासकीय विद्यालयों के अनेक प्राचार्यों के मोबाइल पर बीते कुछ दिनों से एक ही मोबाइल नंबर 8953210542 से लगातार संदिग्ध फोन कॉल आ रहे हैं। कॉल करने वाला स्वयं को मंत्री का पीए बताते हुए प्राचार्यों को धमकाता है कि उनके द्वारा किए गए खरीदी-बिक्री और विभागीय व्यय में भारी धांधली मिली है, तथा उनके खिलाफ फर्जी बिल लगाने सहित कई आरोपों की बात कहकर उन्हें डराने का प्रयास किया जा रहा है। फोन करने वाला व्यक्ति यह भी दावा करता है कि जाँच टीम और संयुक्त टीम द्वारा थोड़ी ही देर में छापा मारने की कार्रवाई की जाएगी, इसलिए इस जानकारी को किसी से साझा न किया जाए, अन्यथा एक वर्ष के लिए निलंबन कर दिया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार यह कॉल लगभग सभी प्राचार्यों को किए जा रहे हैं और कॉल करने वाला एक ही स्क्रिप्ट के माध्यम से प्राचार्यों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। जिन प्राचार्यों ने ईमानदारी से कार्य किया है, वे कॉलर को साफ शब्दों में बताते हैं कि उन्होंने किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं की है और उनके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। जबकि जिन प्राचार्यों ने किसी न किसी स्तर पर गड़बड़ी की है या जिन पर भय का प्रभाव अधिक है, उनके अंदर इस कॉल को लेकर घबराहट देखी गई है। कई प्राचार्यों के बारे में खबर है कि वे इस कॉल के दबाव में आकर कॉल करने वाले व्यक्ति को पैसा भेजने के लिए तैयार हो गए या राशि स्थानांतरित कर भी दी है।
ग्रामीण क्षेत्रों के प्राचार्यों का कहना है कि कॉल की भाषा दबावपूर्ण होती है और अधिकारी जैसा प्रभाव जमाने की कोशिश की जाती है। कॉलर यह भी कहता है कि यदि प्राचार्य सहयोग नहीं करेगा तो तत्काल प्रभाव से निलंबन की कार्यवाही की जाएगी और विभागीय जांच शुरू कर दी जाएगी। इस तरह की धमकी भरी भाषा से कई प्राचार्य मानसिक तनाव में आ गए हैं।
इस गंभीर मामले को लेकर जब जिला शिक्षा अधिकारी रमेश निषाद से संपर्क स्थापित करने का प्रयास किया गया, तो उनका फोन रिसीव नहीं हुआ, जिसके चलते आधिकारिक स्तर पर अब तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हो सकी है। प्राचार्य वर्ग का कहना है कि इस तरह की घटनाएं शासन-प्रशासन की छवि खराब करने के साथ-साथ शैक्षणिक व्यवस्था में भय और भ्रम की स्थिति उत्पन्न करती हैं। इसलिए जिले स्तर पर तुरंत उचित कार्रवाई करते हुए इस नंबर और कॉलर की पहचान की जाए तथा प्राचार्यों को सुरक्षा और भरोसा प्रदान किया जाए।
शैक्षणिक विशेषज्ञों ने इसे एक प्रकार का साइबर ठगी और जबरन वसूली का प्रयत्न बताया है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों को इस तरह के कॉल से सतर्क रहना चाहिए और किसी भी अनजान व्यक्ति को विभागीय नाम लेकर की गई धमकी पर विश्वास नहीं करना चाहिए। किसी भी कॉल की सत्यता की पुष्टि के लिए संबंधित विभाग या उच्च अधिकारियों से सीधे संपर्क करना आवश्यक है।
फिलहाल जिले के स्कूलों में इस घटना को लेकर चर्चा तेज है और प्राचार्यों के बीच भय, संदेह तथा असमंजस की स्थिति बनी हुई है। उम्मीद की जा रही है कि जिला प्रशासन जल्द ही इस मामले में संज्ञान लेकर पुलिस या साइबर सेल को जांच का निर्देश देगा, ताकि भविष्य में किसी भी शासकीय कर्मचारी को इस प्रकार के फर्जी कॉलों का शिकार न होना पड़े।






