*रायपुर,2 शिक्षकों के लिए 18 कक्षाएं लेना संभव नहीं है,*

रायपुर । (सियासत दर्पण न्यूज़) छत्तीसगढ़ सरकार ने 10 हजार से ज्यादा स्कूलों का युक्तिसंगतकरण करने का फैसला किया है। इससे 43 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पद भी खत्म हो सकते हैं। इसके विरोध में 10 हजार से ज्यादा शिक्षक मंत्रालय घेरने निकल पड़े हैं। 3 लेयर में पुलिस बल तैनात है, लेकिन टूटा में धरना स्थल से सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए निकले हैं। शिक्षकों का कहना है कि यह फैसला शिक्षकों की गुणवत्ता से खिलवाड़ और सरकारी स्कूलों को कमजोर करने की कोशिश है। 2 शिक्षकों के लिए 18 कक्षाएं लेना संभव नहीं है।

पूर्व डिप्टी सीएम सिंहदेव ने कहा कि नई व्यवस्था अन्यायपूर्ण है। यह छत्तीसगढ़ के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। वहीं सरकार इसे स्कूली शिक्षा की बेहतरी के लिए उठाया गया कदम बता रही है। तूता स्थित धरना प्रदर्शन स्थल पर शिक्षक जुटे हुए हैं। नारेबाजी और प्रदर्शन जारी है। मंत्रालय घेरने के लिए शिक्षक निकले हैं। नया रायपुर में प्रदर्शन को लेकर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है। शिक्षकों के प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने थ्री लेयर की सुरक्षा व्यवस्था की है। युक्तियुक्तकरण को लेकर मंगलवार को जारी हुआ सरकारी आदेश। सबसे पहले युक्तियुक्तकरण का मतलब समझिए

युक्तियुक्तकरण एक सरकारी शब्द है। आसान भाषा में समझा जाए तो इसका मतलब है दो चीजों को साथ में मर्ज कर देना, एक सिस्टम के तहत। उदाहरण से समझिए, किसी कंपनी के एक ही शहर में दो ऑफिस हैं। संसाधन और मैन पावर दोनों ऑफिस में अलग-अलग बंट रहे हैं। लेकिन कंपनी को इसकी नीड नहीं है।कंपनी, सरकार या संगठन के लिए पॉजिटिव, खर्चे कम होंगे ऐसे में कंपनी दोनों ऑफिस को एक कैंपस में मर्ज कर देगी और मैन पावर को भी अपने सिस्टम के हिसाब से फिल्टर कर देगी। यही युक्तियुक्तकरण है। जिसे अंग्रेजी भाषा में रेशनेलाइजेशन कहते हैं। कंपनी के लिहाज से देखा जाए तो उन्होंने अपना खर्च बचा लिया। एक ही कैंपस होने से मैनेजमेंट आसान हो गया। मैन पावर भी घट गया। यानी पॉजिटिव चेंज है। लेकिन अब इसी चीज को कर्मचारियों के नजर से देखिए। कर्मचारी के साथ हुआ यह कि कुछ की नौकरी चली गई। कुछ को अब घर से लंबा सफर तय कर ऑफिस आना पड़ेगा। इसके अलावा कंपनी अलग-अलग ऑफिस के लिए जो वैकेंसी निकालती थी, वो अब एक ही ऑफिस के लिए निकालेगी। यानी वैकेंसी घट जाएगी। और जो एम्प्लाय बच गए हैं, उन पर वर्क लोड बढ़ेगा। जोकि नेगेटिव है।

यानी युक्तियुक्तकरण वो प्रक्रिया है, जिसे पूंजीवादी नियोजक और कोई सरकार अपने कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ाने। उन्हें अधिशेष यानी सरप्लस शो करते हुए दूसरे कामों में लगाने या उनकी छंटनी करने के लिए प्रयोग करते हैं। यही प्रक्रिया छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों और शिक्षकों के लिए फॉलो की जा रही है।नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत ये सुझाव दिया गया है कि एक क्लास में 30 से अधिक छात्रों की संख्या नहीं होनी चाहिए। यानी 30 छात्रों पर एक शिक्षक होना चाहिए। अभी छत्तीसगढ़ में सरकार के दिए आंकड़ों के मुताबिक, प्राइमरी स्कूल में लगभग 22 बच्चों पर एक शिक्षक है। और प्री मिडिल स्कूल में लगभग 26 बच्चों पर एक शिक्षक है।

यानी NEP (नेशनल एजुकेशन पॉलिसी) के मुताबिक, छत्तीसगढ़ की स्थिति काफी बेहतर है लेकिन यह एक साइड है। दूसरा साइड ये है कि प्रदेश के 30,700 प्राइमरी स्कूलों में 6,872 स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक ही टीचर है। और 212 ऐसे हैं, जहां एक भी शिक्षक नहीं हैं। वहीं 13,149 प्री मिडिल स्कूलों में से 255 स्कूलों में एक ही टीचर है। इसी कैटेगरी में 48 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी टीचर नहीं है। इसी आंकड़े को सामने रखकर सरकार कह रही है कि, हमारे पास शिक्षक पर्याप्त हैं, लेकिन इनका बंटवारा सही तरीके से नहीं हुआ है। यानी कुछ स्कूलों में शिक्षकों की संख्या सरप्लस हैं। जिन्हें जरूरत मंद स्कूलों में भेजा जाए तो शिक्षक की कमी पूरी हो जाएगी।

सरकार युक्तियुक्तकरण से जो चीजें करने वाली है, उसमें पहला शिक्षकों की हेरा-फेरी और दूसरा कम छात्र संख्या वाले स्कूल को नजदीकी स्कूलों में मर्ज कर दो। इससे सीधा-सीधा सरकार पर शिक्षक भर्ती का दबाव कम हो जाएगा। करेंट सिचुएशन में सरकार को कमी पूरा करने के लिए सिर्फ इन दो कैटेगरी के स्कूलों में 12,832 शिक्षकों को सरकारी सिस्टम में लाना होगा। लेकिन युक्तियुक्तकरण के बाद यह आंकड़ा 5,370 के करीब हो जाएगा। स्कूल मर्ज होने की स्थिति में भर्ती की संख्या और कम हो सकती है। अलग-अलग इंफ्रास्ट्रक्टर की जरूरत नहीं होगी। मैनपॉवर कम लगेगा। स्टेशनरी और स्टेब्लिशमेंट में कम खर्च आएगा। प्राइमरी से हायर सेकेंडरी में एक ही प्राचार्य होगा। तीनों स्कूलों का एक ही मैनेजमेंट होगा। ऐसे स्कूल, जिनमें छात्र संख्या 10 से कम हैं। इन्हें करीब के स्कूलों में मर्ज कर दिया जाएगा। और शहरी इलाकों के लिए ये स्टैंडर्ड 500 मीटर और 30 से कम स्टूडेंट रहेगा।

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन समेत कई संगठनों का आरोप है कि, सरकार अपने ही बनाए गए सेटअप 2008 को दरकिनार करते हुए युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया फॉलो कर रही है। टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने बताया कि सेटअप 2008 के मुताबिक प्राथमिक स्कूल में एक प्रधान पाठक + दो शिक्षक (1+2) पूर्व माध्यमिक स्कूल में एक प्रधान पाठक + चार शिक्षक (1+4) का प्रावधान है। लेकिन युक्तियुक्तकरण में एक-एक पद घटाकर इसे 1+1 और 1+3 कर दिया गया है। इससे प्राथमिक स्कूलों में 30,700 पद और पूर्व माध्यमिक स्कूलों में 13,149 पद मिलाकर कुल 43,849 पद खत्म कर दिए गए। यही शिक्षक अब सरप्लस बनाए जा रहे हैं।

संगठन का कहना है कि, 1 से 5वीं तक की कक्षाओं को पढ़ाने के लिए 18 पीरियड की जरूरत होती है। अभी जिस फॉर्मूले पर युक्तियुक्तकरण हुआ है उसके हिसाब से स्कूलों में दो शिक्षक पर 18 पीरियड पढ़ाने का दबाव बनेगा। यानी एक शिक्षक को 9 पीरियड पढ़ाने होंगे। संजय शर्मा ने बताया कि, विभाग हर बार केवल आंकड़ों के आधार पर शिक्षकों को खरा उतरने को कहता है, लेकिन तबादला और पदोन्नति के समय सभी नियम ताक पर रख दिए जाते हैं। इसी कारण कई स्कूलों में शिक्षक सरप्लस हो जाते हैं। सरप्लस की जिम्मेदारी शिक्षक की नहीं, सिस्टम की है।

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