रायपुर :(सियासत दर्पण न्यूज़) राजधानी की सड़कों पर उड़ती धूल ने नागरिकों की परेशानी बढ़ा दी है। शहर के मुख्य मार्गों से लेकर अंदरूनी सड़कों तक, धूल की परतें लोगों के आवागमन को मुश्किल बना रही हैं। वाहनों की रफ्तार के साथ यह धूल हवा में उड़कर न केवल वाहन चालकों की आंखों और सांसों में परेशानी पैदा कर रही है, बल्कि पैदल चलने वालों के लिए भी बड़ा संकट बनी हुई है। आलम यह है कि सड़क किनारे लगने वाली कैनोपी में दिन खत्म होते-होते धूल की पूरी परत जम जाती है। वहीं घर से नहा धोकर निकला व्यक्ति पूरी तरह से धूल में सनकर वापस नहाने धोने के लायक हो जाता है। रायपुर की प्रमुख सड़क जीई रोड इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। डिवाइडरों के दोनों ओर धूल की मोटी परत जमी हुई है, जो जरा सी हवा या वाहनों के गुजरते ही उड़ने लगती है। यही स्थिति अन्य मुख्य मार्गों पर भी देखने को मिलती है। हैरानी की बात यह है कि नगर निगम हर महीने 10 करोड़ रुपये से अधिक सफाई पर खर्च कर रहा है। केवल सड़क स्वीपिंग मशीनों पर ही डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का मासिक खर्च होता है। इसके अलावा, लगभग साढ़े तीन हजार सफाई कर्मचारी शहर की सफाई व्यवस्था में लगे हुए हैं, जिन पर भी करोड़ों रुपये का भुगतान किया जाता है। इसके बावजूद नतीजा यह है कि नागरिकों को धूल से राहत नहीं मिल रही है।






