सियासत दर्पण न्यूज़ की खबर
नई दिल्ली,,सियासत दर्पण न्यूज़,पिछले सप्ताह माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी द्वारा भारतीय सेनाओं के ग़ैर पैंशन भोगी, पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों, विधवाओं के बच्चों की शिक्षा से लेकर शादी के लिए दी जाने वाली आर्थिक सहायता को दोगुनी वृद्धि कर दिवाली का तौहफा दिया। इस निर्णय से सरकार पर लगभग 257 करोड़ का खर्च आएगा जिसे सशस्त्र झंडा दिवस कोष से वहन किया जाएगा, संसोधित दरें 1 नवंबर 2025 से लागू होगी।

अलॉइंस ऑफ ऑल एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन महासचिव द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में माननीय रक्षामंत्री जी द्वारा लिए गए फैसले का स्वागत किया। अब सवाल सरहदों के वास्तविक पहरेदारों बीएसएफ का है जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के 118 बंकर्स ध्वस्त किए। सवाल उन सीआरपीएफ व अन्य सुरक्षा बलों के सैकड़ों जांबाजों का भी है जो पिछले 20 सालों से चले आ रहे (लाल आतंक) नक्सलवाद का सामना करते हुए अपने प्राणों की आहुति देते हुए सर्वोच्च कर्तव्यों का निर्वहन किया। महासचिव आगे कहते हैं कि माननीय गृह राज्यमंत्री श्री नित्यानंद राय से अर्ध सैनिक झंडा दिवस कोष के गठन को लेकर 5 बार मुलाकातें हुईं लेकिन माननीय मंत्री जी द्वारा संसद में दिए गए 7 दिशंबर 2022 को राज्य सभा में दिए गए लिखित जवाब से लाखों पैरामिलिट्री परिवारों को ठेस पहुंची जिसमें उन्होंने कहा कि हर फोर्स का अलग अलग झंडा है और अपने तौर पर स्थापना दिवस मनाते हैं जहां तक झंडा दिवस कोष स्थापित करने को लेकर है मंत्री जी ने इस महत्वपूर्ण प्रश्न का जवाब नहीं दिया।
अब सवाल उठता है कि आए दिन शहीद हुए जवानों के आश्रित परिवार कहां जाएं। विधवाएं जिनके चांद नक्सलवाद आतंकवाद की भेंट चढ़ गए उनके बच्चों की शिक्षा स्वास्थ्य शादी पढ़ाई व पुनर्वास का जिम्मा कौन संस्था उठाए। एसोसिएशन अध्यक्ष पूर्व एडीजी श्री एचआर सिंह के नेतृत्व में माननीय तब के केंद्रीय गृह सचिव आरके भल्ला से अर्धसैनिक झंडा दिवस कोष व अन्य सुविधाओं को लेकर 2 फरवरी 2021 को नॉर्थ ब्लॉक कार्यालय में मुलाकात हुई थी और उन्होंने माना कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के लिए इस प्रकार के कोष का गठन होना चाहिए। सभी फोर्सेस डीजी से राय भी मांगी गई लेकिन माननीय गृह राज्यमंत्री के संसद में दिए गए बयान से सब कुछ मटियामेट हो गया।
अपने नए आदेश के तहत सेना झंडा दिवस कोष के माध्यम से सेना अपने गैर पैंशन भोगियों, पूर्व सैनिकों उनकी विधवाओं को मिलने वाले गरीबी अनुदान को 4000 से बढ़ाकर 8000 रूपए कर दिया गया यह सुविधा उन वृद्ध सैनिकों के लिए भी लागू होगी जो पेंशन के पात्र नहीं थे। रणबीर सिंह आगे कहते हैं कि अब उन बीएसएफ जवानों का क्या होगा जो 1996-97 में विभागीय गलती के कारण बीएसएफ रूल 19 के तहत 10 साल सेवा उपरांत घर भेज दिए गए कि इस भरोसे के साथ कि आप स्वेच्छा से घर जाइए आप को न्युनतम पेंशन मिलेगी। सन् 2001 तक इन जवानों को 1250 रूपए पैंशन मिली जो बाद में बंद कर दी गई। इन पीड़ित जवानों की संख्या 697 के आसपास थी जिसमें कुछ तो पैंशन मिलने की आस लगाए इस दुनिया से चले गए अब उन पर परिवारों की मदद कौन संस्थान उठाए।
जहां तक सीआरपीएफ व अन्य सुरक्षा बलों के जवान जोकि माननीय गृह मंत्री जी द्वारा दिए गए नक्सलवाद का सुफडा साफ करने में दिन-रात ऑपरेशन कर रहे हैं ताकि मार्च 2026 तक भारत नक्सल मुक्त हो सके। माननीय गृह मंत्री जी से एसोसिएशन द्वारा मांग दोहराई जाती है कि पूर्व अर्धसैनिकों ओर उनकी विधवाओं, गैर पैंशन भोगियों, ऑपरेशन दौरान अंग भंग हुए जवानों, पूर्व अर्धसैनिकों की बेटीयों की शिक्षा स्वास्थ्य शादियों, पैंशन पुनर्वास में आर्थिक सहायता हेतु अविलंब सेना झंडा दिवस कोष की तर्ज पर अर्ध सैनिक झंडा दिवस “कोष” की स्थापना करेंगे जिसमें किसी बजटीय प्रावधान की जरूरत नहीं है आम भारतीय उपरोक्त कोष में स्वेच्छा से दान करेंगे।








