सियासत दर्पण न्यूज़।रायपुर की खबर,,व्हाट्सएप नंबर 09827193215
रायपुर,, सियासत दर्पण न्यूज़,,जमात ए इस्लामी हिंद की राष्ट्रव्यापी अभियान “आदर्श पड़ोसी आदर्श समाज” का आज से शुरुआत
यह अभियान 21 नवंबर से 30 नवंबर तक पूरे देश में मनाई जाएगी
पड़ोसी के अधिकार और हमारी सामाजिक ज़िम्मेदारियाँ
मनुष्य अपनी प्रकृति के अनुसार एक सामाजिक प्राणी है। वह अकेला रहकर सुकून हासिल नहीं कर सकता। दूसरों के साथ मिल-जुलकर रहना उसकी ज़रूरत भी है और खूबी भी। इसी कारण इस्लाम ने सामाजिक जीवन के स्पष्ट और सुंदर सिद्धांत बताए हैं, जिनमें पड़ोसी के अधिकार एक बेहद अहम हिस्सा हैं।
पड़ोसी कौन है?
नबी करीम ﷺ की शिक्षा के अनुसार जिसका दरवाज़ा आपके दरवाज़े के सबसे क़रीब हो—वही आपका पड़ोसी है, और उसका आप पर सबसे अधिक हक़ है।
क़रीबी केवल दूरी का नाम नहीं, बल्कि इंसानी, सामाजिक और नैतिक रिश्ते का भी नाम है।
नबी ﷺ की सख़्त चेतावनी
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: “अल्लाह की क़सम! वह मोमिन नहीं… वह मोमिन नहीं… वह मोमिन नहीं… जिसका पड़ोसी उसकी तकलीफ़ों से महफूज़ न रहे।”
यह अल्फ़ाज़ बताते हैं कि पड़ोसी को तकलीफ़ देना ईमान के ख़िलाफ़ है।
पड़ोसी—इंसानी किरदार का आईना
एक इंसान का असली स्वभाव, उसका नैतिक स्तर, उसका व्यवहार और उसके आचरण सबसे पहले उसके पड़ोसियों से ही झलकता है।
अगर किसी व्यक्ति या समाज की असली तस्वीर देखनी हो तो उसके पड़ोसियों से पूछ लीजिए—वे उसकी असलियत बता देंगे।
आज की समाज की स्थिति
आज का समाज स्वार्थ, बेहिसी और दूरी का शिकार होता जा रहा है।
कई बार ऐसा भी सामने आता है कि किसी फ़्लैट में कोई व्यक्ति कई दिनों तक फ़ौत हो चुका होता है और पड़ोसियों को खबर तक नहीं होती।
यह एक पढ़े-लिखे समाज के लिए शर्म की बात है।
हमें चाहिए कि हम एक-दूसरे की खबर रखें, दिलचस्पी लें और रिश्ते मज़बूत करें।
नबी ﷺ की रोज़मर्रा की मार्गदर्शन
नबी ﷺ ने पड़ोसी के अधिकार सिर्फ़ बड़े सिद्धांतों में नहीं बताए, बल्कि बहुत छोटी-छोटी बातों में भी समझाए:
1. दिखावे से बचो
अगर आपका पड़ोसी ग़रीब है, तो उसके सामने ऐसी चीज़ें न दिखाएँ जो उसके दिल में हसरत पैदा करें।
जैसे—फल खाएँ तो उसके छिलके दरवाज़े पर न फेंकें।
2. खाने में हिस्सा रखो
जब कोई तरकारी या शोरबा पकाएँ तो थोड़ा ज़्यादा रखें ताकि पड़ोसी के साथ भी बाँटा जा सके।
3. छोटी चीज़ें देने में भी हिचकिचाएँ नहीं
चाहे वह माचिस हो, नमक हो या चीनी—पड़ोसी की ज़रूरत में मदद करना इंसानियत है।
अल्लाह और उसके रसूल ﷺ की मोहब्बत का रास्ता
जो व्यक्ति अल्लाह और उसके रसूल ﷺ का क़रीब होना चाहता है, उसे चाहिए:
सच बोले
अमानत में ख़यानोंत न करे
पड़ोसी के साथ अच्छा व्यवहार करे
क्योंकि पड़ोसी से अच्छा बर्ताव ऊँचे किरदार की निशानी है।
क़यामत के दिन पहला फैसला
हदीस में आता है कि क़यामत के दिन सबसे पहले पड़ोसियों के बीच के मामलों का फैसला होगा।
यह बात ही इस हक़ की अहमियत बताने के लिए काफी है।
हमारा भारतीय समाज
हम एक ऐसे मुल्क में रहते हैं जहाँ अलग-अलग धर्मों के लोग साथ रहते हैं।
दीवाली हो या ईद—हम सब मिलकर खुशियाँ मनाते हैं।
इसलिए हमारा फ़र्ज़ है कि हम धर्म, जाति या भाषा से ऊपर उठकर अपने पड़ोसियों से अच्छा व्यवहार करें—चाहे वे किसी भी धर्म के हों।
समाज की वास्तविक ज़रूरत
आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है कि हम:
एक-दूसरे की खबर रखें
मुश्किल वक्त में साथ दें
रिश्ते मजबूत करें
नैतिक स्तर ऊँचा रखें
क्योंकि एक बेहतर समाज की शुरुआत पड़ोस से ही होती है।





