
बिलासपुर, सियासत दर्पण न्यूज़,शाम को एक कॉल आया की किसी का, कोतवाली पुलिस ने एक को उठा लिया है, पता चला कि 151,107,116(3) जा फौ का मामला बनाया है, और सिटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश करेंगे,मैं भागते हुए सामने वाले के पक्ष की मदद हेतु बतौर वकील वहा शाम 5 बजे पहुंच गई, लेकिन न तो कोई मजिस्ट्रेट बैठे थे और न ही कोतवाली पुलिस उस लड़के को लेकर आई थी जिसके के लिए मैं वहा उपस्थित हुई थी।
इंतजार करने के बाद 6 बजे पुलिस ने लड़के को पेश किया लेकिन जिनके क्षेत्र में यह मामला देखने की शक्ति है, वो एक्सक्यूटिव मजिस्ट्रेट तो वहा थे नही, फिर बाबू को मैने अपने उपस्थिति का मेमो पेश किया और को लिखा पढ़ी का औपचारिक ढंग था, वो किया।
अन्य थाने जैसे तोरबा, सिविल लाइन आदि के लोगो को उपस्थित करा गया और अन्य एडिशनल मजिस्ट्रेट ने बाकी की सुनवाई भी करी, लेकिन जिनके पास मेरा और अन्य लोगो का कोतवाली थाने का मामला पेश होना था, वो एडिशनल अधिकारी उपस्थित नही थे, मैने बोला कि उनके अनुपस्थिति में किसी अन्य के पास पेश करवा दीजिए, तो बाबू ने बोला कि नही साहब ही करेंगे, फिर शाम 7 बजे बाबू ने कोतवाली थाने के जितने मामले थे, वो वाले कागज की फाइल उठाई और बोले मैं आता हूं खलको साहब से करवाकर, पता चला साहब घर पर है।
अब दिमाग तो घूमा कि वकील होकर हम अपनें पक्षकार के लिए 2 घंटे से इन साहब का इंतजार कर रहे है, जिनका वेतन सरकार से इन्हे मिलता है, वो अनुपस्थित है, उनको घर से हस्ताक्षर करने का अधिकार है???
खैर, बाबू 8 बजे लौटकर आए और बोले कि सबकी जमानत खारिज कर दी है, जेल भेज रहे है सबको, मेरे अलावा 3 से 4 अन्य वकील भी वहा थे, किसी ने पट्टा पेश किया था, तो छुट्टी का दिन के नाते किसी ने निजी मुचलके को पेश किया था वकील के साथ, लेकिन न कोई दलील सुनी गई, और न ये समझ आया कि 151 धारा में सबको एक साथ जेल कैसे भेज सकते है??
यही करना था तो हम वकीलों को भी घर से बैठकर बता देते कि आप लोग मत आओ, हम यही से खारिज कर देंगे, घर में बैठकर ही।
सिटी मजिस्ट्रेट की कोर्ट में बड़ी धाधली चलती है लेकिन किसी को फर्क नही पड़ता, 151 जैसे सामान्य मामलों में पुलिस हथकड़ी लगाकर ऐसे लाती है जैसे कितना बड़ा अपराधी हो, और सिटी मजिस्ट्रेट की कोर्ट न हो गई, जैसे खुद को राष्ट्रपति समझ बैठे है, घर बैठे चिड़िया बैठाकर 151 जैसे मामलों में बेल खारिज कर रहे है।
प्रियंका शुक्ला
अधिवक्ता
बिलासपुर, छत्तीसगढ़