सामाजिक कार्यकर्ता प्रियंका शुक्ला, नन्द कश्यप, लखन सुबोध, प्रेस के लोगो ने नागरिको के साथ दिखाई एकजुटता, आम जनता समेत ढेरो लोग सड़कों पर उतरे, पत्रकार मुकेश चंद्राकर को न्याय दिलवाने की मांग पर किया कैंडल लेकर पैदल मार्च
पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या : सरकार – ठेकेदारों के गठबंधन,एसपी, कलेक्टर को निलंबित करने, SIT गठित करने , पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग
माननीय Hc के निगरानी में जांच हो, निष्पक्ष जांच हो, साथ ही परिवार को आर्थिक तौर पर मुआवजा दे सरकार = इरशाद अली, प्रेसक्लब अध्यक्ष, बिलासपुर
बिलासपुर,सियासत दर्पण न्यूज़, बिलासपुर के नागरिकों ने बस्तर के युवा, जुझारू और जन पक्षधर पत्रकार मुकेश चंद्राकर की बर्बर हत्या की कड़ी निंदा करते हुए देवकीनंदन चौक में प्रदर्शन किया और देवकीनंदन चौक से CIMS चौक तक कैंडल मार्च किए।
विभिन्न संगठनों से जुड़े नागरिकों और बिलासपुर के पत्रकारों नेइसे राजनेताओं, अधिकारियों और माफियाओं के गठजोड़ का उदाहरण बताया है और बीजापुर के पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर को निलंबित करने और इस हत्याकांड की SIT गठित कर जांच कराने की मांग की है।
लोगों ने मुकेश चंद्राकर की हत्या को उस जन पत्रकारिता पर हमला बताया है, जिसने हमेशा बस्तर में माओवादियों को कुचलने के नाम पर फर्जी मामलों में आदिवासियों की गिरफ्तारियों से लेकर फर्जी मुठभेड़ तक के मामलों को, आदिवासियों के मानवाधिकारों के मुद्दों को और प्रदेश की प्राकृतिक संपदा को कॉरपोरेटों को सौंपे जाने के लिए की जा रही साजिशों को प्रमुखता से उठाया है।
हालांकि इस घटना के तात्कालिक कारण के रूप में मुकेश की वह रिपोर्टिंग सामने आई है, जिसमें अरबों की लागत से बन रहे गंगालूर से लेकर मिरतुल तक के सड़क निर्माण की घटिया गुणवत्ता को उजागर किया गया था, लेकिन सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद भी आज तक इसके खिलाफ कोई कार्यवाही शुरू नहीं हुई है। यह भ्रष्टाचारियों और इसे दबाने-छुपाने के खेल में लगे राजनेताओं और प्रशासन की मिलीभगत को उजागर करता है। इस बर्बर हत्याकांड में जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनका कांग्रेस-भाजपा के नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध भी किसी से छुपा हुआ नहीं है और हत्यारों का राजनैतिक गमछे बदलकर अवैध तरीकों से पैसा बनाना भी सबकी नजरों में है। इसलिए SIT गठित कर जांच के जरिए इस पूरे माफिया गिरोह और उनके आकाओं को बेनकाब करना जरूरी है।
नागरिकों ने पत्रकार सुरक्षा कानून का मुद्दा भी उठाया है। आंछत्तीसगढ़ निर्माण के 24 साल बाद भी पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कांग्रेस-भाजपा एक प्रभावशाली कानून बनाने में विफल रही है, तो इसलिए कि न तो कांग्रेस की, और न ही भाजपा की पत्रकारों को सुरक्षा देने में कोई दिलचस्पी रही है। एक विपक्षी पार्टी के रूप में उन्होंने केवल पत्रकारों को भरमाने का और गोदी-भोंपू मीडिया पनपाने ही काम किया है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ में पत्रकारों पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं। कुछ महीने पूर्व ही बस्तर के ही बाप्पी राय सहित कुछ पत्रकार साथियों पर गांजा तस्करी का फर्जी अपराध दर्ज किया गया था, जिसमें एक थाना इंचार्ज सीधे तौर पर षड्यंत्रकारी था। बस्तर में प्रशासन द्वारा जनता के लिए पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों को डराना-धमकाना आम बात है और अब नौबत माफियाओं द्वारा पत्रकारों की हत्या तक आ पहुंची है।
प्रियंका शुक्ला द्वारा विरोध और कैंडल मार्च के आवाहन पर, शहर के सामाजिक कार्यकर्ता नन्द कश्यप, लखन सुबोध, रवि बनर्जी, प्रथमेश मिश्रा,नीलोतपल शुक्ला,वीरेंद्र भारद्वाज, संतोष पांडे,रोमेश साहू, मुदित मिश्रा, अमित वर्मा, अजय अनंत, समेत,बिलासपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष इरशाद अली समेत कई पत्रकार साथी भी मौजूद हुए।
इस दौरान सभी ने मुकेश चंद्राकर के साथ हुई घटना की निंदा करते हुए, पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की बात कही।