कांकेर,सियासत दर्पण न्यूज़, शिक्षा के क्षेत्र को समाज में एक सेवा के रूप में देखा जाता है—एक ऐसा माध्यम जो हर बच्चे को उसके सपनों तक पहुंचने में मदद करता है, विशेषकर वे बच्चे जो सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आते हैं। लेकिन कांकेर जिला मुख्यालय के समीप स्थित जेपी इंटरनेशनल स्कूल, सरंगपाल में शिक्षा के इस मूल उद्देश्य से भटकते हुए लाभ कमाने की प्रवृत्ति दिखाई दे रही है।

पत्रकार एवं विश्व हिंदू महासंघ के प्रदेश मंत्री बस्तर प्रभारी गणेश तिवारी ने इस स्कूल पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि यह संस्थान शिक्षा के नाम पर गरीब अभिभावकों की मजबूरी का शोषण कर रहा है। उन्होंने बताया कि स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों की फीस यदि देरी से जमा होती है, तो प्रति दिन ₹10 लेट फीस वसूली जाती है, जो पूर्णतः अनुचित और अमानवीय है।
गणेश तिवारी ने कहा कि यदि कोई अभिभावक महीने भर फीस नहीं भर पाता तो उसे ₹300 की अतिरिक्त राशि जुर्माने के रूप में देनी पड़ती है। अगर 100 गरीब परिवारों के बच्चों की फीस लेट हो जाती है, तो स्कूल महीने भर में 30,000 रुपये की अवैध वसूली कर रहा है। यह राशि स्कूल के किसी सेवा विकास में नहीं, बल्कि सीधा शिक्षकों और प्रबंधन के जेब में जाती है।
इस तरह की व्यवस्था से गरीब और मध्यम वर्ग के अभिभावकों में जबरदस्त आक्रोश है। हैरानी की बात यह है कि जिले के जनप्रतिनिधि, जिला प्रशासन, इस पूरे मामले से भलीभांति अवगत होने के बावजूद चुप्पी साधे बैठे हैं। इससे साफ है कि या तो इनकी मिलीभगत है या फिर वे अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहे हैं।
गणेश तिवारी ने चेतावनी दी है कि यदि इस प्रकार की अवैध वसूली पर तत्काल प्रभाव से रोक नहीं लगाई गई, तो वे जनआंदोलन की राह पकड़ेंगे और जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई की मांग करेंगे। उन्होंने शिक्षा विभाग से यह भी अपील की है कि स्कूलों को व्यावसायिक संस्थान नहीं, सेवा केंद्र बनाया जाए ताकि गरीब का बच्चा भी बिना डर और दबाव के शिक्षा प्राप्त कर सके।






