जगदलपुर:(सियासत दर्पण न्यूज़) देश के कभी सबसे भयावह और अभेद्य माओवादी गढ़ के रूप में पहचाना जाने वाला बस्तर अब इतिहास के सबसे बड़े मोड़ से गुजर रहा है। केंद्र सरकार की समग्र उन्मूलन नीति और गृह मंत्री अमित शाह की मार्च 2026 तक ‘माओवादी हिंसकों के समूल समाप्ति’ रणनीति ने वह परिणाम दिखा दिया है, जिसकी कल्पना भी पांच वर्ष पहले नहीं की जा सकती थी। बस्तर आइजीपी सुंदरराज पी. के अनुसार पूरे संभाग में अब माओवादी संगठन का मुख्य नेतृत्व केवल दो नामों बारसे देवा और पश्चिम बस्तर डिविजन सचिव पापाराव तक सिमट गया है। इनके साथ अधिकतम 130-150 हथियारबंद सदस्य ही सक्रिय माने जा रहे हैं।







